Read the fast story on Amla Navami

आंवला नवमी पर पढ़े व्रत कथा, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी हो जाएंगे प्रसन्न, देखें शुभ मुहूर्त

Amla-Navmi

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हिंदू धर्म में कार्तिक मास का काफी अधिक महत्व है। क्योंकि इस माह में कई बड़े व्रत त्योहार आते हैं। इसी तरह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी  (Amla Navami) के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की विधिवत पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस आंवले के पेड़ में श्री हरि विष्णु वास करते हैं।  इसी कारण अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं। इसके साथ ही सपरिवार पेड़ के नीचे बैठकर सात्विक भोजन करते हैं। माना जाता है कि इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ-साथ इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं। 

आंवला नवमी  व्रत कथा
आंवला नवमी की कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक सेठ था। वह हर साल आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को आंवले के पेड़ के नीचे बैठाकर भोजन कराता था। इसके साथ ही सोना-चांदी आदि भेट में देता है। लेकिन यह सब चीजें सेठ के बेटों को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। ऐसे में वह अपने पिता से खूब झगड़ते थे। इन सब चीजों से तंग आकर सेठ से घर छोड़ दिया और दूसरे गांव में जाकर बस गया। इसके साथ ही जीवन यापन के लिए एक छोटी सी दुकान रख ली। इसके साथ ही उस दुकान के आगे एक आंवले का पेड़ लगाया। भगवान की कृपा इतनी हुई की दुकान खूब चलने लगीं। इसके साथ ही उसने अपने नियम को न तोड़ते हुए हर साल आंवला नवमी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देता था। 

वहीं, दूसरी ओर सेठ के पुत्रों का व्यापार ठप हो गया। ऐसे में सेठ के बेटों को समझ आने लगा कि वो अपने पिता के भाग्य से ही खाते थे। अपनी गलती समझ कर वे अपने पिता के पास गए और अपनी गलती की माफी मांगने लगे। फिर पिता के कहने के बाद उन्होंने भी आंवले के पेड़ की पूजा करनी शुरू की और दान करने लगे। इसके प्रभाव से सेठ के बेटों के घर पहले की तरह खुशहाली आ गई और सुख-समृद्धि के साथ रहने लगे।

आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि 1 नवंबर को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और 2 नवंबर, बुधवार को रात 09 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक है।

आंवला नवमी महत्व

आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है। आंवला नवमी को ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था। इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। आज भी लोग अक्षय नवमी पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए इस नवमी पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस व्रत में भगवान श्री हरि का स्मरण करते हुए रात्रि जागरण करें।

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